स्तनपान में 25वें नंबर पर उत्तराखंड, सुधार जरूरी
निंताजनक हालात- जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान में 28.8 फीसद पर सिमटा उत्तराखंड का आकडा
किसी भी शिशु के लिए स्तनपान से बड़ा वरदान कुछ भी नहीं। जन्म के एक घंटे के भीतर से लेकर अगले छह माह तक बच्चे के पोषण की सभी जरूरतें स्तनपान से ही पूरी होती हैं। अगले नौ माह तक भी इसे जारी रखा जाए तो इसे आदर्श स्थिति कहा जाएगा। स्तनपान की दर बढ़ाने और जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए केंद्र व राज्य सरकार अथक प्रयास कर रही हैं, मगर उत्तराखंड अभी भी देश के 36 राज्यों में 25वें स्थान पर सिमटा है। उत्तराखंड में ही स्तनपान की दर की तुलना की जाए तो हरिद्वार का प्रदर्शन सबसे खराब दिख रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की पिछले साल की रिपोर्ट पर गौर करें तो स्तनपान की दर को तीन भागों में बांटा गया है। इसमें स्तनपान को जन्म के एक घंटे के भीतर, छह माह तक व नौ माह तक की अवधि में बांटा गया है।
पहली रैंकिंग पर आए मणिपुर को 72.7 अंक मिले हैं। इस आधार पर उत्तराखंड के 42.1 अंक को देखें तो बड़े अंतर को साफ समझा जा सकता है। हालांकि, जन्म के एक घंटे के भीतर शिशुओं के स्तनपान में गोवा 75.4 फीसद के साथ सबसे ऊपर है। इस स्थिति में भी उत्तराखंड का
शिशु के साथ मां के लिए जरूरी है स्तनपान स्तनपान से शिशुओं का विकास तेजी से होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सांस संबंधी समस्या, कान के संक्रमण, मधुमेह, श्वेत रक्तता व अन्य एलर्जी से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही वजन बढ़ाने, अनावश्यक वसा को जमा न होने देने, दिमाग के उचित विकास, शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में भी नियमित स्तनपान सहायक है। दूसरी तरफ स्तनपान कराते रहने से महिलाओं का वजन भी नियंत्रित रहता है। साथ ही स्तन या गर्भाशय कैंसर होने का खतरा भी कम हो जाता है।
आंकड़ा 28.8 फीसद पर सिमटा है।
072.7 अंक के साथ 36 राज्यों में टॉप पर है मणिपुर
प्रदेश में हरिद्वार जिले का प्रदर्शन सबसे खराब
स्तनपान में उत्तराखंड के जिलों का प्रदर्शन
जिला फीसद में
रुद्रप्रयाग 51.6
चमोली 45.3
टिहरी 36.1
बागेश्वर 34.0
नैनीताल 33.5
चंपावत 131.9
अल्मोड़ा 31.7
देहरादून 30.5
उत्तरकाशी 28.2
पिथौरागढ़ 27.8
पौडी 26.0
यूसनगर 24.7
हरिद्वार 22.1