रोमांटिक फिल्मों के सदाबहार हीरो... ऋषि कपूर


 04 सितम्बर 1952 को मुंबई में जन्में फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर का निधन 30 अप्रैल 2020 को बोनमैरो कैंसर के कारण आई परेशानी से 67 वर्ष की आयु में हो गया। इस दुनियां को हमेशा के लिए अलविदा कहकर चले जाना जहां उनके हजारों चाहने वालों के लिए एक भारी शोक के जैसा है, वहीं पर मुझे भी लगता है कि मैंने भी अपना एक अच्छा दोस्त, बेहतरीन अभिनेता और एक कुशल निर्माता-निर्देशक खो दिया है, जिसने कभी दिल्ली के पंचतारा होटल में पहली बार मुझे बड़ी सहजता से अपना इंटरव्यू देते हुआ कहा था कि हालात कैसे भी क्यों न हों, लेकिन आदमी को हमेशा अपना काम पूरी ईमानदारी, तन्मयता और मुस्कराहट के साथ करना चाहिएउन्होंने अपने इंटरव्यू में मेरे साथ फिल्मी दुनियां के कई ऐसे पहलू भी शेयर किए थे जिनके आधार पर मैं कह सकता हूं कि ऋषि कपूर सच में समझदार और बेबाक किस्म के इंसान थे।


हिंदी फिल्मों के शोमैन राजकपूर के बेटे और पृथ्वीराज कपूर के पौत्र ऋषि कपूर ने अपनी शिक्षा अकैपियन स्कूल मुंबई व मेयो कालेज अजमेर से हासिल की। इन्होंने अपनी पहली फिल्म 'मेरा नाम जोकर' एक बाल कलाकार के रूप में की और तदोपरांत जब 1974 में इनकी 'बॉबी' फिल्म रीलिज हुई तो उसे देखने के लिए हजारों युवक युवतियों ने ब्लैक में टिकट खरीकर ऋषि कपूर का जलवा देखा और उन्हें चाकलेटी तथा रोमांटिक हीरों का तमगा प्रदान किया।


इन्होंने वर्ष 1974 से लेकर अबतक तकरीबन 92 फिल्में रोमांटिक लीड में कीं और 12 फिल्में अपनी पत्नी नीतू सिंह के साथ कीं, जिनके साथ इनका विवाह 22 जनवरी 1980 को हुआ था। नीतू सिंह एक सिख परिवार से ताल्लुक रखती हैं। ऋषि कपूर का बेटा रणबीर कपूर भी एक अभिनेता है और बेटी रिधिमा कपूर एक ड्रेस डिजाइनर हैं।


इसमें कोई शक नहीं कि ऋषि कपूर ने जितनी भी फिल्में कीं, उनमें उनका रोमांटिक अंदाज अलग तरह का दिखलाई दिया। कई फिल्मों में उनको अभिनय चरित्र अभिनेता के जैसा लगा तो कई फिल्मों में उनके संवादों की अदायगी लोगों को बहुत पसंद आई। यदि क्रमानुसार उनकी फिल्मों की समीक्षा करें तो कुछ फिल्मों को छोड़कर उनकी सभी फिल्में बॉक्स आफिस की कसौटी पर पूरी तरह कामयाब रहीं।


__बॉबी, यादों की बारात, सरगम, तवायफ, प्रेम रोग, अमर अकबर एन्थनी, कर्ज, चांदनी, लैला मजनूं, सागर, कुली, हम तुमतहज़ीब, ओम शांति ओम, पहला पहला प्यार, साहिबा, दामिनी, दीवाना, बंजारन, हिनाघर-घर की कहानी, याराना, बेवकूफिया, बेशर्म, औरंगजेब, वैडिंग पुलाव, अग्निपथ, हाउसफुलसाजन की बाहों में, सिंदूर, हल्लाबोल, नमस्ते लंदन, दिल्ली-6, चश्मे बद्दूर, लम्हे, मुल्क, कपूर एंड संस, टेल मी ओ खुदा, दो दूनी चार इत्यादि उनकी ऐसी फिल्में हैं जिनमें उनके अभिनय के कई शेड्स व रंग दिखाई देते हैं।


ऋषि कपूर का निकनेम 'चिंटू' था लेकिन फिल्मी परदे पर उनके साथ काम करने वाली प्रायः सभी अभिनेत्रियों का कहना है कि ऋषि कपूर ने हमें कभी सैट पर नवर्स नहीं होने दिया बल्कि वे बड़ी सहजता से हमारा दुःख दर्द सुनते थे और उसके समाधान की यथा संभव कोशिश भी करते थे।


जिस नीतू सिंह के साथ ऋषि कपूर ने शादी की, फिल्मों में उनकी एन्ट्री भी एक बाल कलाकार के रूप में हुई थी और बाद में जब नासिर हुसैन ने उन्हें अपनी फिल्म यादों की बारात में एक आईटम सांग के लिए अनुबंधित किया तो नीतू उसी फिल्म के एक गाने 'लेकर हम दिवाना दिल' रातों रात एक बड़ी स्टार बन गईं और एक ही दिन में उन्होंने 50 फिल्में साइन कीं। सूत्रों का कहना है कि शादी से पहले ऋषि कपूर ने पांच साल तक नीतू के साथ डेटिंग की लेकिन पति बनने के बाद वे अपनी जिम्मेदारियों से कभी विमुख नहीं हुए।


जिन्हें ऋषि कपूर को ज्यादा जानने और समझने की तलब हो तो उन्हें एक बारगी वर्ष 2017 में छपी और मीना अय्यर द्वारा लिखी गई इनकी जीवनी-'खुल्लम खुल्ला- ऋषि कपूर अनसैंसर्ड' अवश्य पढ़नी चाहिए। इस किताब में ऋषि कपूर ने अपने जीवन से संबधित कई बातों को खुलकर शेयर किया है। इस किताब ने प्राकथन में ऋषि कपूर के बेटे रणबीर ने लिखा है कि जहां तक अपने पिता से मेरे रिश्ते का प्रश्न है तो मेरे लिए यह पूर्ण आदर का रिश्ता है। मैं बेशक अपनी मां के अधिक करीब हूं, पर मुझे लगता है कि अपने पिता के रिश्ते में मुझे भी कभी कोई कमी या खालीपन नहीं लगा।


इसी तरह ऋषि कपूर ने अपनी किताब मे अपने पिता राजकपूर और नरगिस के संबंधों का खुलासा करते हुए नरगिस को 'इनहाउस' हीरोइन तक कहा। उन्होंने यह भी कहा कि जब पापा और वैजयंतीमाला इंवाल्व थे तो मैं अपनी मां के साथ मरीन ड्राइव के नटराज होटल में आ गया था। उसके बाद हम दो महीने के लिए चित्रकूट बिल्डिंग में शिफ्ट हो गए थे। मेरे पिता ने वो अपार्टमैंट मेरे व मेरी मां को दिलाया था। उन्होंने मां को वापस लाने के लिए सब कुछ किया लेकिन जब तक उनकी लाइफ का वह चैप्टर खत्म नहीं हुआ मेरी मां ने भी हार नहीं मानी।



लेखक जगदीश चावला के साथ ऋषि कपूर


इसे शब्दों में कहें तो राजकपूर अपनी कलरफुल जिंदगी के लिए जाने जाते थे जबकि नरगिस और वैजयंतीमाला से उनके अफेयर की खबरें लम्बे समय तक चर्चा में रहीं। ऋषि कपूर ने इस किताब में अपनी पहली गर्लफ्रेंड का भी जिक्र किया है जिसका नाम यास्मीन मेहता था और वह एक पारसी लड़की थी। शादी से पहले दोनों ने डेटिंग में एक दूसरे की काफी प्रशंसा की और यास्मीन ने ऋषि कपूर को एक अंगूठी भी दी जिस पर शांति का चिन्ह बना था। लेकिन वह रिश्ता सिरे नहीं चढ़ा। पुस्तक बताती है कि 1993 के मुंबई धमाकों से पहले अंडरवर्ल्ड के डॉन इब्राहीम दाउद ने ऋषि कपूर को फोन पर उनके अभिनय की तारीफ भी की थी क्योंकि ऋषि कपूर ने एक रोमांटिक फिल्म में दाउद का किरदार निभाया था। ऋषि कपूर ने अपनी बेटी रिधिमा के कहने पर हमेशा के लिए सिगरेट पीना छोड़ दिया था। वह एक बार पाकिस्तान भी जाना चाहते थे और उस हवेली को देखना चाहते थे जहां से मुंबई आए कपूर खानदान के लोगों ने भारत के दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई।


ऋषि कपूर को राजनीति पसंद नहीं थी लेकिन सही न सच्ची बात कहने में वे कभी पीछे नही रहें। मतलब यह कि उन्होंने अपनी जिंदगी के हर आयाम को उसी खूबसूरती से लिखा, जैसा उन्होंने जिया। बेशक आज ऋषि कपूर को चाहने वालों की तादाद लाखों में होगी लेकिन उनके जैसा रोमांटिक हीरो बनना हर किसी के वश की बात नहीं है। फिल्म जगत के इस सदाबहार हीरो को हमारा शत्शत् नमन।