फर्श से अर्श तक पहंचे- इरफान खान
आजकल जिस हिसाब से नए नए कलाकारों को लेकर फिल्में बन रही हैं उससे यह अंदाजा लगाना आसान नही है कि आगे चलकर कौन सा हीरो या हीरोइन अपने अभिनय की लम्बी पारी खेलने वाले साबित होंगे। इस दृष्टि से फिल्म अभिनेता इरफान खान किस्मत के बहुत धनी साबित हुए कि उन्होंने अपने कार्यकाल में हिंदी में 30 से ज्यादा फिल्मों में काम करके जो शोहरत हासिल की, वह कम ही लोगों को नसीब होती है।
इरफान का वास्तविक नाम इरफान अली खान था। इनका जन्म 07 जनवरी 1967 को राजस्थान के टोंक शहर में हुआ। इनकी माता सईदा बेगम खान और पिता यासीन अली खान वस्तुतः टोंक जिले के खजूरिया गांव के रहने वाले थे और इनका संबंध टोंक के नवाब परिवार से बताया जाता है। इरफान के पिता टायरों का बिज़नेस करते थे लेकिन वह चाहते थे कि उनकी संतान पढ़ लिख कर कोई ऊंचारूतबा हासिल करे। इस दृष्टि से इरफान की स्कूली शिक्षा जयपुर में हुई और यही के एक कालेज से इन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की थी।
फिल्मों में आने से पहले इरफान ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली से प्रशिक्षण हासिल किया, जिसकी बदौलत इनकी टीवी सिरियलों तथा फिल्मों में एन्ट्री आसान हो गई। इरफान खुद मानते थे कि वर्ष 1984 में एनएसडी से मिलने वाली छात्रवृति और यहां के अनुभवों ने ही मुझे रंगमंच से फिल्मों तक पहुंचाया। उनकी पहली फिल्म 'सलाम बाम्बे' थी जो 1988 में रिलीज हुई। इसके बाद उन्होंने हिंदी की जिन फिल्मों में काम किया उनमें कुछ प्रमुख नाम हैं-कारवां, ब्लैकमैल, करीब करीब सिंगल, डी डे, द लंच बॉक्स, ये साली जिंदगी, सात खून माफ, राइट या रांग, एसिड फैक्ट्री, बिल्लू बारबर, न्यूयार्क, बुलेट, चेहरा, क्रेज़ी, दिल्ली-6, अंग्रेजी मीडियम, रोड टू लद्दाख, गुनाह, सुपारी, काली सलवार, मकबूल, द नेम सेक, स्लम डॉग मिलियनेयर, पीकू, पान सिंह तोमर, लाइफ ऑफ पाई, हिंदी मीडियम, मुंबई मेरी जान, द वारियर इत्यादि। जाहिर है कि आज की समस्याओं और विविध नियमों को लेकर बनीं इस तमाम फिल्मों में इरफान ने अपनी आदाकारी के जो जलवे बिखेरे वे न केवल उनके अलग रंगों व शेडस को दिखलाने वाले साबित हुए बल्कि अन्य अभिनेताओं के लिए एक मिसाल के जैसे भी बन पाएइरफान फिल्म में डाकू बने या ड्राईवर, उनका अभिनय हमेशा एक सहजता को लिए होता था। मैं तो बल्कि यही कहूंगा कि इरफान हमारी फिल्म इंडस्ट्री के ऐसे कोहिनूर थे, जो अपनी आंखों से अभिनय करते थेहंसी-खुशी और दुःख-दर्द के भावों को व्यक्त करने में उनके चेहरे की भावभगिमा देखते ही बनती थी।
कहना गलत न होगा कि रोमांटिक थ्रिलर ड्रामा फिल्म 'साहेब बीवी और गैंगस्टर' में राजू भैया का किरदार निभाने वाले 'ब्लैकमेल' में टायलेट पेपर के सेल्स मैन का किरदार निभाने वाले और ऐसे ही कई बेहरतरीन भूमिकाएं निभाने वाले इरफान ने यदि अपने दम पर फर्श से उठकर अर्श तक अपना मुकाम बनाया तो इसे उनकी बड़ी उछाल ही कहा जायेगा।
वैसे इन्होंने जिन हालीवुड की फिल्मों में काम किया उनमें भी इन्होंने अपनी प्रतिभा को लोहा मनवाया। टीवी सीरियलस की बात करें तो द ग्रेट मराठा, चन्द्रकांता, चाणक्य, कहकशां, भारत एक खोज, जय हुनमान आदि में भी उनके बेहतर अभिनय की झलकियां देखी जा सकती हैं।
अपने काम के प्रति इमरान की लगन और जुनून देखते ही बनता था। वे फिल्मी दुनिया के ऐसे कलाकार रहे जिन्हें पद्म पुरस्कार के अलावा तीन बार फिल्म फेयर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।
यहां यह बताना जरूरी है कि उन्होंने एनएसडी से अभिनय प्रशिक्षण हासिल करते समय एनएसडी की एक स्नातिका सुतापा देवेन्द्र सिंकंदर से 23 फरवरी 1995 को विवाह कर लिया और सुतापा भी इरफान के हर अच्छे बुरे समय में एक चट्टान की तरह उनके साथ खड़ी नज़र आईं।
अभिनेत्री टिस्का ज़हीन चोपड़ा का कहना है कि मैंने भी इरफान के साथ फिल्म 'किस्सा' में काम किया था। मैं जब नब्बे के दशक में संघर्ष कर रही थी ओर निराशा महसूस कर रही थी यहां तक कि मैंने अभिनय छोड़ने का निर्णय भी ले लिया था तो ऐसे में इरफान ने यह कहकर मेरा हौंसला बढ़ाया कि अभिनय छोडना है तो छोड़ दे, * लेकिन याद रखना कि फिल्मों में आगे बढ़ने के लिए अपने तरीके की हिम्मत होना जरूरी है।
इसके बाद इरफान ने टीवी शो 'स्टार बेस्ट मेलर' के एक खंड का निर्माण किया। जिसका शीर्षक था 'हम साथ साथ हैं क्या? यह उनकी पत्नी सुतापा सिकंदर द्वारा लिखित और तिग्मांशु धूलिया द्वारा निर्देशित था। उन्होंने इस सैगमेंट में टिस्का को उतारा था।
इरफान खान को कैंसर था, जिसका इन्होंने इलाज भी करवाया लेकिन किस्मत ने साथ नही दिया। अंततः विगत 29 अप्रैल 2020 को मुंबई के कोकिला बेन हस्पताल में उनका देहांत हो गया। जबकि इससे चार दिन पहले उनकी मां की भी मृत्यु हो गई थी और इरफान इनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाये थे। निधन के बाद इरफान खान को मुंबई के वार्कोवा कब्रिस्तान में सपुर्द ऐ खाक किया गया तो उस वक्त लॉक डाउन की वजह से वहां 15-20 लोग ही मौजूद थे। इरफान के दो बेटे हैं- बाबिल और आयान इरफान। बाबिल इस समय लंदन से सिनेमा की पढ़ाई कर रहे हैं।
मीडिया रिर्पोट के मुताबिक इरफान खान अपने पीछे 320 करोड़ की प्रापर्टी छोड़ गए हैं। उनका मुंबई में एक आलीशन घर है। इरफान फिल्मों में काम करने के लिए 15 करोड़ रूपये चार्ज किया करते थे। इस फीस के अलावा वे प्राफिट शेयर भी लेते थे। अपने फिल्म निमार्ता के साथ फिल्म की कमाई के बारे में वे पहले ही बात कर लिया करते थे। इसी तरह एक विज्ञापन के वे 5 करोड़ रूपये लेते थे। वे टोयटा, बीएमडब्ल्यू, मर्सडीज, कनार्टो पोटों और ऑडी जैसी कई कारों के मालिक थे। इतना सब होने पर भी उनमें घमंड नाम की कोई बात नहीं थी। वे ज़मीन से जुड़े कलाकार थे। इरफान धार्मिक कट्टरता और सामाजिक रूढ़ियों को देश के लिए घातक बताते थे।
एक महान कलाकार को जिसने मात्र 53 वर्ष की आयु में इस दुनियां को अलविदा कह दिया, श्रृद्धांजलि के तौर पर मैं यही कह सकता हूं कि
बिछुड़ा कुछ इस अदा से कि रूत ही बदल गई,
एक शक्स .... शहर को वीरान कर गया ।