सोने से भी मूल्यवान 'तूतनखामेन का लोहा'


मिस्र के फैरो तूतनखामेन के मकबरे में मिली लोहे से बनी चीजों ने सोने की चीजों की तुलना में दुनिया का ध्यान कम ही आकर्षित किया है। हालांकि, शोधकर्ताओं को लोहे की इन चीजों की पड़ताल में कई अनूठी बातें पता चली हैं।


'राजाओं की घाटी में 1922 में मिस्र के सम्राट तूतनखामेन के मकबरे की खोज से अब तक उसकी ममी के चेहरे पर लगा सोने का मुखौटा दुनिया भर को रोमांचित करता रहा है। 18 साल की उम्र में मौत की आगोश में समा गए तूतनखामेन की ममी के साथ इस मुखौटे के अलावा लगभग 5,400 चीजें मिली थीं जिनमें से कई सोने तथा कुछ लोहे से बनी थीं।


लेकिन 14वीं शताब्दी ईसा पूर्व में तूतनखामेन के शासनकाल से भी पुराने वक्त की लोहे से बनी 19 कलाकृतियां सोने या विभिन्न रत्नजड़ित कलाकृतियों की तुलना में भी अधिक दुर्लभ हैं। अब जाकर पहली बार अच्छी तरह से उनका अध्ययन किया गया है।


इसके परिणाम जर्मनी के मेंज शहर के सैंटल रोमानो-जर्मनिक म्यूजियम ने एक लोकप्रिय विज्ञान पुस्तक में प्रकाशित किए हैं। पुस्तक का शीर्षक दिव्य ! तूतनखामेन के मकबरे की लौह कलाकृतियां' रखा गया है। पुस्तक के पांच लेखकों में से एक म्यूजियम के रैस्टोरर क्रिश्चियन एकमैन कहते हैं कि इससे पहले कभी लोहे की इन कलाकृतियों का वैज्ञानिक अध्ययन नहीं किया गया। ऐसे में ऐतिहासिक संदर्भ में कुछ बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न हमारे सामने थे।


'स्वर्ग की धातु' का उपयोग


चूंकि छठी शताब्दी ईसा पूर्व तक मिस्र में लोहे के इस्तेमाल का कोई प्रमाण नहीं था इसलिए तूतनखामेन के दिनों में मिस्र के लोगों ने उल्कापिंडों के लोहे का उपयोग किया था जिसे वे 'स्वर्ग की धातु' पुकारते थे।


जांच के दौरान एक्स-रेफ्लूरोसैंस एनालिसिस से लौह की कलाकृतियों की रासायनिक संरचना की जांच की गई।


अहम सवाल था कि क्या इनमें भारी धातु निकेल मौजूद है जो उल्कापिंड के लोहे का एक महत्वपूर्ण संकेत होती है।


विशेषज्ञों के अनुसार उस दौर के किसी भी लोहे में यदि निकेल की मात्रा 5 प्रतिशत से अधिक है तो इसका अर्थ है कि वह धरती का लोहा नहीं है। उन्हें 16 छोटे छेनी जैसे लोहे के औजारों में 6 से 13 प्रतिशत तक निकेल का पता चला है। प्राचीन मिस्र में संरक्षण तथा स्वास्थ्य के प्रतीक माने जाने वाले आई ऑफ होरस' के रूप में बने छोटे से ताबीज में 8 प्रतिशत और सिर के नीचे रखे जाने वाली छोटी-सी चीज में 8.8 प्रतिशत निकल का पता चला है।


लोहे का खंजर


मकबरे में मिली सभी चजों में से सबसे प्रभावशाली है सोने के हत्थे तथरॉक-क्रिस्टल की मुट्ठी वाला लोहे का खज जिसमें 128 प्रतिशत निकेल मिला है।


जानकारों के अनुसार यदि पता चलता कि ये सब धरती पर मिलने वाले लोहे से ही बना है तो यह किसी सनसनी से कम होता। तब पुरातत्व इतिहास को फिर से लिखना पड़ता। इस पड़ताल के दौरान शोधकर्ता उच्च संभावना के साथ यह दावा करने में कामयाब रहे हैं कि उस खंजर में पहले लोहे का नहीं किसी अन्य धातु का ब्लेड (फलक) लगा था, संभवत: सोने या कांस्य का जिसे बाद में उल्कापिंड की धातु यानी लोहे से बदला गया। उसे तब अधिक कीमती समझा जाता होगा ।