क्या यही प्यार है...


- सुनील भसीन


पहले युवक अपनी प्रेमिका को आते-जाते 'पर्चियां' थमा कर अपनी दिल की बात सुनाया करता था, वहीं आज का नवयुवक या तो वेलेन्टाइन डे का इंतजार करता है या फिर मौका पाते ही कोई गिफ्ट थमा कर अपनी प्रेमिका को अपने दिल की बात कह देता है।


एक बात तो साफ है कि इस पवित्र बंधन का युगों से अस्तित्व रहा है जिसके कारण ही मानव आज तक इस रूप में कायम है।


परवरी 14, वेलेन्टाइन डे, प्यार का इज़हार 'करने का दिन। एक जमाना था जब प्यार मुहब्बत करना तो दूर, इन शब्दों को भी खुल कर जुबां पर नहीं ला सकते थे नवयुवक और युवतियां चोरी-छिपे प्यार-मुहब्बत बढ़ाते और इज़हार करते थे। लेकिन आज प्यार, प्यार करने वाले और प्यार के मायने सभी कुछ बदल गया है।


पहले युवक अपनी प्रेमिका को आते-जाते 'पर्चियां' थमा कर अपनी दिल की बात सुनाया करता था, वहीं आज का नवयुवक या तो वेलेन्टाइन डे का इंतजार करता है या फिर मौका पाते ही कोई गिफ्ट थमा कर अपनी प्रेमिका को अपने दिल की बात कह देता है। इजहार करने के लिए आजकल प्रेमी एस.एम. एस., ईमेल या गिफ्ट्स का सहारा लेने लगे हैं। युवा मानते हैं कि यह व्यवस्था पहले के मुकाबले अधिक सुगम है। इस तरह के इजहार का एक फायदा यह भी है कि इस से उन की प्राइवेसी बनी रहती है।


प्यार के बारे में एक बात तो साफ है कि इस पवित्र बंधन का युगों से ही अस्तित्व रहा है जिस के कारण ही मानव आज तक इस रूप में कायम है। यों तो प्यार होने को किसी से भी हो सकता है लेकिन यदि युवकयुवतिय में के बी च प न प न वाले प्यार की बात करें तो मामला ज़रा पेचीदा हो जाता है। कुछ लोग प्यार को अफेयर और अफेयर को प्यार समझने की भूल कर बैठते हैं। प्यार या अफेयर? अजी, छोडिये न, क्या फर्क है दोनों में, दोनों में ही प्यार होता है। अफेयर मे पड़ने वाले लोग अक्सर यह कहते हैं कि यह परस्पर प्रेम पर टिका होता है। पहले फ्लर्टिंग होती है जो धीरे-धीरे गंभीर होती चली जाती है और यह करने वाले यह समझने लगते हैं कि उन्हें प्रेम हो गया है, यहां तक कि वे आपस में एक-दूसरे को इस बात का विश्वास भी दिलाते हैं कि वे इक-दूजे के लिए ही बने हैं। आम तौर पर जो दलीलें दी जाती हैं वे कुछ इस प्रकार की होती हैं - "तुम से मिल कर ही मैं ने जाना कि प्यार किसे कहते हैं, और अगर शादीशुदा हैं तो “मेरे पति/पत्नी की नज़र में तो मेरी कोई कीमत ही नहीं है", या फिर “मेरे लिए टाइम ही कहां है उस के पास" वगैरह-वगैरह। और अगर वे एक-दूसरे को इस तथाकथित प्रेम का विश्वास दिलाने में सफल हो जाते हैं तो वह समय दूर नहीं होता जब वे समाज द्वारा निर्धारित सीमायें लांघ जाते हैं। और सब से मज़ेदार बात यह होती है कि यह सब गत रूप से होता है।


आइये, ज़रा इस बात की तह तक जाते हैं। ऊपर से दिखने वाले प्रेम की परत को हटाने पर हमें मिलता है एक युगल, जिस में से एक भावनात्मक रूप से असुरक्षित है और दूसरा शारीरिक सुख की तलाश में है। और अधिकाश स्थितियों में भावनात्मक रूप से असुरक्षित स्त्री होती है और शारीरिक सुख की तलाश में पुरुष होता है। इस स्थिति में पुरुष अपने प्रेम का इज़हार करता है, दुहाई देता है और भावनात्मक रूप से असुरक्षित स्त्री, जो कि अपने दिल में समाये सूनापन को दूर करने की इच्छुक है, इसे वास्तव में प्रेम समझने लगती है और महसूस करती है कि अब उस का जीवन पूर्ण हो गया है। यह सब होने के लिए कोई निर्धारित समय सीमा नहीं है। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि भावनात्मक रूप से असुरक्षित स्त्री किस सीमा तक अपने आप को असुरक्षित महसूस करती है। अगर वह अपने आप को बेहद असुरक्षित महसूस करती है तो पुरुष को अधिक प्रयास नहीं करना पड़ेगा।


परंतु वास्तव में क्या होता है? सच्चाई तो यह है कि यह एक स्वस्थ रिश्ता है ही नहीं। यह और कुछ न हो कर भावनात्मक एवं शारीरिक शोषण है, विशेष रूप से स्त्री का। और शोषण हमेशा गुप्त रूप से किया जाता है, खुले आम नहींऔर वह स्त्री या पुरुष इतना भी नहीं समझ पाता कि अगर उन के बीच का रिश्ता स्वस्थ है तो उसे सब से छुपा कर क्यों रखा गया है। अगर उस युगल को लगता है कि उन्हें परस्पर सुख मिल रहा है तो वह सुख या तो क्षणिक है या फिर वे एक मृगतृष्णा का पीछा कर रहे हैं।


अफेयर विश्वासघात के अलावा और कुछ नहीं है। और यह विश्वासघात होता है स्वयं के साथ, अपने परिवार, और अगर शादीशुदा है तो जीवन साथी के साथयह स्वयं के साथ विश्वासघात इसलिए होता है क्योंकि शोषण करने वाला व्यक्ति, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, खुद जानता है कि वह जो कुछ कर रहा है वह गलत है परंतु वह अपनी आत्मा की आवाज़ को या तो अनसुना कर देता है या फिर इस अफेयर से मिलने वाले सुख की मधुर कल्पना में अपने आप को लिप्त कर लेता है। और यही सब शोषित व्यक्ति भी करता है। अपने-अपने जीवन साथी के साथ विश्वासघात इसलिए होता है क्योंकि यह सब गुप्त रूप से होता है। अगर इस सारे झमेले की कभी पोल खुल जाये तो कहने की आवश्यकता नहीं है कि सब से अधिक मार पड़ेगी तो स्त्री पर। फिर चाहे वह मार उस की जिंदगी में एक अनचाही नन्हीं जान के रूप में आये या फिर एक आंधी की तरह जो उस के मान-सम्मान, परिवार और, अगर विवाहित है तो, जीवन साथी को उड़ा कर ले जाये। आंच तो पुरुष पर भी आती है पर उतनी नहीं जितनी स्त्री पर आती हैफिर क्यों अफेयर को प्यार समझा जाता है?


इस संदर्भ में एक रोचक प्रसंग है। एक बार एक व्यक्ति ने किसी महात्मा से पूछा, "स्वामी PRAK महामाया, स्वामी जी, पाप और पुण्य में क्या अंतर है? ऐसी कितनी ही बातें हैं जो कि एक समाज में सही समझीजाती हैं तो दूसरे में वे गलत समझी जाती हैं।" महात्मा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "पाप और पुण्य में बड़ा ही छोटा अंतर है। जिस कार्य का परिणाम तुम सिर उठा कर समाज में घोषित कर सकते हो, वह पुण्य है, और जिस कार्य का परिणाम घोषित करने में तुम्हें लज्जा आये, वह पाप है। अगर तुम अपने हर कार्य को इस कसौटी पर परखोगे तो तुम कभी गलती नहीं करोगे।"


वेलेन्टाइन डे प्रेम का दिन है, न कि अफेयर का दिन और हम यह देख ही चके हैं कि अफेयर का प्रेम से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। प्यार कीजिये, भरपूर कीजिये, सब से कीजिये, और हर दिन कीजिये, पर अफेयर से थोड़ा बच के।


अफेयर विश्वासघात के अलावा और कुछ नहीं है आर यह विश्वासघात होता है स्वयं के साथ अगर शादीशुदा है तो जीवन साथी के साथ। स्वयं के साथ विश्वासघात इसलिए होता है क्योंकि शोषण  करने वाला व्यक्ति चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, खुद जानता है कि वह जो कुछ कर रहा है वह गलत है। 


अफेयर मे पड़ने वाले लोग अक्सर यह कहते हैं कि यह परस्पर प्रेम पर टिका होता है। पहले फ्लटिंग होती है जो धीर-धीर गंभीर होती चली जाती है और यह करने वाले यह समझने लगते हैं कि उन्हें प्रेम हो गया है।