बैंका का झटका,8,600 करोड़ के क्लेमेंस से मिले मात्र 16 करोड़
एस्सार स्टील और समिरमाया जैसे बड़े अकाऊंट्स से रिकवरी को लेकर बैंक खुश हैं, लेकिन इनसॉल्वैसी एंड बैंकरप्यमी बोर्ड ऑफ इंडिया (आई.बी.बी.आई.) के डाटा से पता चलता है कि अधिकतर मामलों में रेजोल्यूशन मुश्किल राह्य है। इनसॉल्वंसी एंडबैंकरप्सी कोड (आई.बी.सी.)के तहत मैशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल (एन.सी. एल. टी.) में भेजे गए आधे से अधिक मामले लिक्विडेशन के कारण बंद हुए हैं। आई.बी.बी.आई. के डाटा के अनुसार अभी मक बंद किए गए 1,045 मामलों में से 5876यानी 56 पर्सेट लिक्विडेशन में गए हैं। इनमें से 24 में लिक्विडेशन प्रोसैस पूरा हो गया है और डिजॉल्यूशन का ऑर्डर दे दिया गया है। हालांकि इन अकाऊंट्स से बिक्री की रकम केवल 16 करोड़ रुपए रही, जबकि इनके लिए लगभग 8,600 करोड़ रुपए के क्लेम स्वीकार किए गए थे। इससे यह पता चलता है कि बैंकों को इन कम्पनियों को एन.सी. एल.टी. में ले जाने पर हएखर्च की भी वसली नहीं र्ड है। ARE रिपोर्ट के अनुसार बैंकों में धोखाधडी के मामले बढे है। 2018-19 में 71,543 करोड़ रुपए की कुल धोखाधड़ी हुई जबकि इससे पूर्व वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 41,167 करोड़ रुपए था। इस मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आगे हैं। बैंक ने आलोच्य अवधि में 5876,801 धोखाधड़ी वाले मामलों की जानकारी दी जो 2017-18 में 5,916 था। धोखाधड़ी के कुल मामलों में 55.4 प्रतिशत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से जुड़े थे। वहीं राशि के मामले में यह 90.2 प्रतिशत है।