हनुमानजी और सांई बाबा
शिरडी में सांई समाधि परिसर में एक हनुमान मंदिर है। शिरडी के साई मंदिर के प्रांगण में सभी लोगों ने हनुमानजी की दक्षिणमुखी प्रतिमा और उनके मंदिर को जरूर देखा होगा। सांई भी नित्य हनुमानजी के दर्शन करते थे। इसीलिए देश के हर सांई मंदिर के पास या प्रांगण में हनुमानजी की प्रतिमा होना जरूरी है।
सांई के जन्म स्थान पाथरी (पातरी) पर एक मंदिर बना है। मंदिर के अंदर सांई की आकर्षक मूर्ति रखी हुई है। यह बाबा का निवास स्थान है, जहां पुरानी वस्तुएं जैसे बर्तन घटी और देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई हैं। इन्हीं मूर्तियों में एक मूर्ति हनुमानजी की भी हैयह मूर्ति बहुत पुरानी है।
शशिकांत शांताराम गडकरी की किताब 'सद्?गुरु साई दर्शन' (एक बैरागी की स्मरण गाथा) अनुसार सांई का परिवार हनुमान भक्त था। उनके माता पिता के पांच पुत्र थे। पहला पुत्र रघुपत भुसारी, दूसरा दादा भूसारी, तीसरा हरिबाबू भुसारी, चौथा अम्बादास भुसारी और पांचवें बालवंत भुसारी थे। सांई बाबा गंगाभाऊ और देवकी के तीसरे नंबर के पुत्र थे।
सांई बाबा के इस जन्म स्थान से एक किलोमीटर दूर सांई बाबा का पारिवारिक मारुति मंदिर है। मारुति अर्थात हनुमानजी का मंदिर। वे उनके कुल देवता हैं। यह मंदिर खेतों के मध्य है, जो मात्र एक गोल पत्थर से बना है। यहीं पास में एक कुआं हैं, जहां सांई एक गोल पत्थर से बना है वहीं बाबा स्नान कर मारुति का पूजन करते थे। किसी कारणवश गुरुकुल छोड़ने के बाद सांई बाबा हनुमान मंदिर में ही अपना समय व्यतीत करने लगे थे, जहां वे हनुमान पूजा-अर्चना करते और सत्संगियों के साथ रहते थे।
एक जीवनी के अनुसार श्री शिरडी साई बाबा का जन्म भसारी परिवार में हआ था जिनके पारिवारिक देवता कम्हार बावडी के श्री हनुमान थे, जो पाथरी के बाहरी पारिवारिक देवता कुम्हार बावड़ी के इलाके में थे। सांई बाबा प्रभु श्रीराम और हनुमान की भक्ति किया करते थे। उन्होंने अपने अंतिम समय में राम विजय प्रकरण सुना और 1918 में देह त्याग दी।
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