अच्छा रोजगार मानव संसाधन में
बाजार में इस कोर्स की अहमियत को देखते हुए ही दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के कॉमर्स विभाग द्वारा देश में चलाया गया पहला ऐसा पीजी कोर्स है जो छात्रों को ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट एंड आग्रेनाइजेशनल डेवलपमेंट के बारे में विशेष तौर पर प्रशिक्षित करता है.
दाखिले की प्रक्रिया
वैश्वीकरण के इस दौर में देश के कोने-कोने में कॉरपोरेट और निजी कंपनियों का जाल फैल गया है. भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियां और विश्व व्यापार की बदलती भूमिका में काम करने के लिए युवा लड़के- लड़कियों के लिए यह विभाग हर साल एक टीम तैयार करता है. इसके लिए छात्रों को दो साल तक गहन प्रशिक्षण से गुजरना होता है. इस कोर्स में दाखिले के लिए संस्थान अब कैट के स्कोर को आधार बनाता है- यानी एक पंथ दो काज. कैट के जरिए इसमें भी दाखिला लिया जा सकता है. कैट स्कोर के बाद ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू आयोजित किया जाता है. तीनों के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है. कोर्स में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गई है. 21 अक्टूबर तक आवेदन मांगे गए हैं.
कोर्स - दो साल का यह कोर्स चार सेमेस्टरों में बंटा हुआ है. इसके तहत छात्रों को अद्राइस पेपर पढने होते हैं. पहले सेमेस्टर में मैनेजमेंट की अवधारणा और व्यवहार, मानव संसाधन प्रबंधन, मैनेजमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल रिलेशनशिप, बिजनेस एंड एथिकल वैल्य, मैनेजमेंट एकाउंटिंग, बिजनेस स्टैटिस्टिक्स एंड रिसर्च मेथडोलॉजी, कम्प्यूटर एप्लिकेशन के बारे में बताया जाता है. दूसरे सेमेस्टर में एचआरडी के अलावा आर्गनाइजेशनल व्यवहार, ऑर्गनाइजेशनल विकास, बिजनेस इनवायरमेंट की जानकारी दी जाता है. इसम आद्योगिक रिलशन ला, इकानामिक्स और ह्यूमन कैपिटल के अलग-अलग पहलुओं से रू-ब-रू कराया जाता है. तीसरे सेमेस्टर में एचआर की प्लानिंग और सलेक्शन प्रक्रिया, प्रशिक्षण और विकास, क्षतिपूर्ति प्रबंधन, ऑर्गनाइजेशनल साइकोलॉजी, मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम और ट्रेनिंग रिपोर्ट का पाठ पढ़ाया जाता है. आखिरी सेमेस्टर में मैनेजमेंट ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन, क्रॉस कल्चरल मैनेजमेंट, रणनीति प्रबंधन, फाइनेंस फॉर डिसीजन मेकिंग, मार्केटिंग की अवधारणा और सिद्धांत के अलावा सशक्तिकरण व हिस्सेदारी प्रबंधन की शिक्षा दी जाती है.
इस पाठ्यक्रम के जरिए उनमें एक कुशल एचआर प्रबंधक और ऑर्गनाइजेशनल डेवलपमेंट के गुणों की परख होती है. छात्रों को कोर्स के दौरान आठ सप्ताह की समर इंटर्नशिप और इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट, डिजटशन का काम भा दिया जाता है.
योग्यता और फीस - दाखिले के लिए स्नातक में 50 फीसद अंक होना चाहिए. बीए अंतिम वर्ष के छात्र भी कैट के स्कोर के आधार पर दाखिला ले सकते हैं. लेकिन चयन होने तक रिजल्ट जमा करना होगा. कोर्स में 40 सीटें थीं. लेकिन ओबीसी कोटा लागू होने के बाद इसमें करीब 26 सीटों का इजाफा हुआ है. कोर्स में ओबीसी, एससी-एसटी और अन्य श्रेणी के लिए संविधान के मुताबिक आरक्षण का भी प्रावधान है. इस कोर्स में दाखिला पाने वालों को प्रमुख बैंक फीस अदायगी के लिए लोन भी प्रदान करते हैं. फीस सालाना करीब 15 हजार रुपये है. ऐसे में, यह कोर्स गरीब छात्रों के निजी कंपनियों में मैनेजर बनने के सपने को भी साकार करता है. एमबीए और इस कोर्स में एक फर्क यह भी है कि इसकी फीस मैनेजमेंट यानी एमबीए कोसरे के मुकाबले काफी कम है.
सुविधाएं - दाखिले के बाद छात्रों को कम्प्यूटर लैब, लाइब्रेरी और हॉस्टल की सुविधा भी मुहैया कराई जाती है.
प्लेसमेंट - कोर्स के छात्रों की प्लेसमेंट के लिए कंपनियों से इंटरैक्शन का मौका दिया जाता है. इसके लिए प्री-प्लेमसेंट का आयोजन किया जाता है. उसके बाद आखिर में प्लेसमेंट होता है. इसमें कंपनियां अपने जॉब के बारे में ब्योरा पेश करती है. उसके बाद इच्छुक छात्रों से बायोडाटा लिया जाता है. कंपनियां ऑनलाइन टेस्ट, साक्षात्कार आदि के जरिए चयन करती हैं. प्लेसमेंट में एबीएन एम्ब्रो बैंक, आदित्य बिड़ला ग्रुप, अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक, एशियन पेंट, फिक्की और विप्रो जैसी कई नामचीन कंपनियां आती हैं. मंदी के कारण प्लेसमेंट पर थोड़ा असर पड़ा है. इससे पहले छात्रों को यहां करीब छह से सात लाख रूपये सालाना पैकेज मिलता रहा है.
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