एक बून्द (कविता)
बून्द ने चाहा सागर अमृत सा,
पर सागर के स्पर्श से वह हुई उदासी ।
क्योकि
सागर व नदियों पर है घेरा मैली चादर का
स्वच्छ भारत की तस्वीर काली हो रही है।
पर अब
इस स्वच्छता आंदोलन में आएगा
ऐसा भारत जल्द
नदियां, कुऍ, तालाब, बावड़ियाँ
झीले यहाँ तक की
नाले भी नजर आ जाएगे पूरे
साफ फिर तब
गांधी जी की आत्मा घूमे पूरा भ्रमण करें
और हरियाली और स्वच्छता का
छाता हो उनके हाथ में, कहे विश्व को
देखो मेरा भारत महान
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