नवरात्रि में उपवास और स्वास्थ्य
Poonam Sharma
Naturopath
Practising- Yoga, Naturopathy, Acupressure & Lifestyle Councellor
email : mail2mepoonamsharma@gmail.com
सनातन धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व है इस दौरान लोग नौ दिन तक उपवास रखकर मां दुर्गा की उपासना करते हैं।
नवरात्री वर्ष में दो बार आती है जो कि दो ऋतुओं का संधिकाल/परिवर्तन का समय होता है। इस समय प्रकृति बदल रही होती है। इसीलिए नवरात्री में वृत रखना स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हितकारी होता है।
ऋतुओं के संधिकाल में व्रत रखकर हम अपने शरीर को डिटॉक्स करके आगे आने वाली ऋतु में स्वयं को स्वस्थ रख सकते हैं।
शरीर का डिटॉक्स होने के पश्चात हमारा शरीर साफ व विषाक्त पदार्थे से रहित होने के कारण हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति (इम्युनिटी) बढ़ जाती है, जिससे मौसम परिवर्तन के समय वायरल या बाहृ इंफेक्शन से हमारा शरीर अच्छी तरह से सुरक्षित हो जाता है।
नवरात्री उपवास के दौरान सात्विक व फलाहार लेने से मन की नकारात्मकता भी समाप्त होती है। मन शांत व निर्मल हो जाता है।
उपवास के दौरान पाचन तंत्र भी बेहतर रूप से काम करता है जिससे स्वतः ही बीमारियों के कारण (विषाक्त तत्व) समाप्त हो जाते हैं।
कई बार उपवास के दौरान अक्सर देखने को मिलता है कि लोग खाने से बचते हैं। जिसका स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। उपवास के दौरान भी संतुलित आहार बहुत जरूरी होता है।
इस उपवास के दौरान हम अपने खानपान में होने वाली त्रुटियों को समाप्त कर, अपने वजन को भी घटा सकते हैं, शरीर डिटॉक्स होने से ही वजन कम होने की शुरूआत हो जाती है। इसके साथ ही कुछ थोड़ा बहुत खानपान में ध्यान देने से हम अपने वजन को कम करने के उद्देश्य को भी पा लेते हैं।
आइये जानते हैं व्रत के दौरान स्वस्थ रहकर, वजन कम कैसे करें
सुबह की शुरूआत
नवरात्रि उपवास के दौरान सुबह सबसे पहले अपने दिन की शुरूआत गुनगुने पानी से करें। सुबह उठकर 1-2 गिलास गुनगुना पानी धीरे-धीरे बैठकर पीयें।
डिटॉक्स वाटर
एक कांच के जग में दो-चार नींबू की स्लाइस, 2-4 खीरे की स्लाइस, 2-4 पत्ते पूदीना, 2-4 पत्ते धनिया डालकर इसमें पानीभर कर रात भर छोड़ दें। अगले दिन पी लें। यह डिटॉक्स वाटर शरीर में पानी व इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी नही होने देगा।
फलों का सेवन
उपवास के दौरान फलों के सेवन से पौष्टिक तत्वों की कमी पूरी होती है। सेब, अमरूद, पपीता, नाशपती, अनार जैसे फलों का सेवन शरीर को ऊर्जावान रखते हैं व सुपाच्य भी होते हैं।
मलाई वाला दूध
उपवास के दौरान मलाई वाले दूध का प्रयोग न करें। टोंड वाले दूध का ही प्रयोग उचित है दही, पनीर आदि बनाने के लिए।
आहार तालिका
- सुबह उठकर 1 से 2 गिलास गुनगुना पानी पीएं
- रात का भिगे हुआ 5-6 बादाम साथ ही एक अखरोट
सुबह का नाश्ता
- सामक चावल/साबुदाना/ लौकी/ मखाने की खीर/ शक्करकंदी/ एक मुट्ठी मूंगफली व किशमिश, रात को भिगोई हुई/बनाना शेक (चीनी के स्थान पर गुड की खांड या किशमिश का प्रयोग करें/ टोंड मिल्क/मात्रा केवल एक कटोरी
11.00–11.30 बजे सुबह
- मौसमानुसार फलों व सब्जियों का सलाद, नारियल पानी, नींबू पानी, छाछ, लौकी या सफेद पेठा का जूस
दोपहर का खाना
- दही में मखाने भिगोकर, केले की लस्सी (केला+दही)
- दही सलाद (उबले आलू+खीरा टमाटर)
- चौलाई दही में भिगोकर
- बेक्ड टिक्की दहीं के साथ
शाम का नाश्ता
- दूध वाली चाय/ ग्रीन टी/भुना मखाना/तरबूज/खरबूजा/कद्दू सूर्य मुखी के बीज/भुनी मूंगफली व फूट जूस/ सब्जियों का सूप
रात का भोजन
- सामक/सबुदाना खिचड़ी/कुटु/सिंगार/राजगीरा/सामक आटे में उबले आलू/कच्चे केले/शकरकंदी या घीया कद्दूकस करके गुथे हुए आटे की रोटी सब्जी- कच्चे केले/कच्चे पपीते/कद्दू/घीया/जिम्मीकंद/अरबी
- सब्जी- कच्चे केले/कच्चे पपीते/कद्दू/घीया/जिम्मीकंद/अरबी
- चटनी- नारियल/पूदीना/धनिया/मरूआ के पत्तों की चटनी
नोट- यदि रात के समय का भोजन भारी लगे या जल्दी नही खा पाते हैं तो ऐसी स्थिति में रात की भोजन सारणी को दोपहर के भोजन से बदल सकते हैं। ऐसे में रात को सूप आदि ही लें।
- तले व प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थो का प्रयोग न करें।
- उपवास के दौरान पर्याप्त मात्रा में पेय पदार्थ लेते रहें
- थोड़ी-थोड़ी मात्रा में हर 2-3 घंटे में खाते रहें।
- रिफाइंड चीनी के बजाय गुड, शहद, खजूर का प्रयोग करें।
- दूध व पनीर का अधिक सेवन न करें क्योंकि उपवास के दौरान गरिष्ठ भोजन नुक्सानदायक होता है।
- उपर्युक्त बातों पर ध्यान देते हुए अपने उपवास को स्वास्थ्वर्धक बनाये।
शुभ नवरात्रि
"आहार ही औषधि है।"
photo- inextive.com