लेखक जो तंत्र भी जानते थे


तन्त्र एक विलक्षण विद्या है। तन्त्र के बारे में प्राचीन समय से ही यह धारणा प्रचलित रही है कि इसके द्वारा अद्भुत और असम्भव से दिखाई पड़ने वाले कार्य किए जा सकते हैं। यही कारण है जो तंत्र ने सदैव मनुष्य को आकर्षित किया है। अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि बहुत से महापुरुषों ने तन्त्र को साधने की कोशिश की थी। महात्मा बुद्ध तो तन्त्र-सिद्ध थे। लेखक भी इसके अपवाद नहीं रहे हैं। देश विदेश के अनेक प्रसिद्ध लेखकों ने तंत्र को साधने की कोशिश की थी। उन्हें सफलता मिली या असफलता, यह अलग बात है लेकिन तंत्र की ओर लेखकों के आकर्षित होने के प्रसंग भी कम रोचक नहीं है।


सामरसेट माम की गणना विश्व प्रसिद्ध कहानीकारों में की जाती है। रहस्य एवं रोमांच की कहानियां गढ़ने में सामरसेट माम बेजोड़ थे। लेकिन स्वयं माम का जीवन भी कम रहस्यपूर्ण नहीं था। जीवन की शुरूआत से ही माम तन्त्र की ओर आकर्षित हो गये थे। अपने छात्र जीवन में माम ने भारत के अघोरियों के बारे में अनेक रोचक किस्से पढ़ लिये थे, जिसका सीधा परिणाम यह हुआ कि माम तन्त्र -मन्त्र में रूचि लेने लगे। यहाँ तक कि माम ने ऐसी पुस्तकें भी जुटा ली जिनमें मन्त्र के प्रयोग करने की विधियाँ विस्तार पूर्वक दी गई थीं, लेकिन माम इतने से ही संतुष्ट न हुए। तन्त्र के प्रति बढ़ती आसक्ति उन्हें भारत खींच लाई। माम कलकत्ता में आए, अनेक तांत्रिकों और अघोरियों से मिले। जब वे वापस लौटे तो काली की एक प्रतिमा भी साथ ले आये। इन सब बातों का परिणाम यह हुआ कि माम अब स्वयं तन्त्र के प्रयोग करने लगे और उनका निजी जीवन भी बड़ा रहस्यमय हो गया। अपनी भारत यात्रा और अघोरियों से मुलाकात का वर्णन माम ने अपनी अधूरी आत्मकथा में किया है। माम की मृत्यु भी बड़े अजीबो-गरीब ढंग से हुई थीमाम के अध्ययन कक्ष में उनके मरने के बाद काली की एक प्रतिमा, ताबीज, बीजमन्त्र और तन्त्र में प्रयुक्त की जाने वाली अनेक वस्तुएं पाई गयी। कुछ लोगों का कहना है कि सामरसेट माम की रहस्यमय मृत्यु भी उनके द्वारा किए तन्त्र के प्रयोग की विफलता का परिणाम थी


एक अमेरिकी महिला एलिजाबेथ कूटन ने उपन्यास लिखने के मामले में बहुत नाम कमाया है। उपन्यासकार बनने से पहले एलिजाबेथ कूटन एक साधारण महिला थी। एक दिन उन्हें तन्त्र पर एक किताब पढ़ने को मिली। जिनमें प्लेन चिट पर प्रेत आत्माओं के आव्हान का तरीका बताया गया। एलिजाबेथ कूटन की रूचि जागी और उन्होने प्लेनचिट का प्रयोग करके देखा। संयोग की बात कि एलिजाबेथ को अपने पहले प्रयास में सफलता मिली, लेकिन एक गड़बड़ हो गई। प्लेनचिट पर जिस आत्मा का आह्वान किया गया, वह नहीं बल्कि एक लेखक की आत्मा आ गई। लेखक की आत्मा एलिजाबेथ के माध्यस से एक उपन्यास पूरा करना चाहती थीजब एलिजाबेथ ने अपनी असमर्थता व्यक्त की तो लेखक की आत्मा ने उसे डराया-धमकाया। आखिर एलिजाबेथ को उपन्यास लिखने के लिए बाध्य होना पड़ा। लेखक की आत्मा रोज एकान्त में कूटन को डिक्टेशन देती और कूटन उसे ज्यो का त्यों उतार देती। उपन्यास एक दिन पूरा हो गया, लेखक की आत्मा ने इस उपन्यास को प्रकाशित कराने में एलिजाबेथ की मदद की। उपन्यास में लेखक की जगह भी एलिजाबेथ का नाम प्रकाशित हुआ। उपन्यासकार के रूप में एलिजाबेथ कूटन की ख्याति सर्वत्र फैल गई। फिर क्या था! आत्मा के निर्देश पर एलिजाबेथ कूटन ने एक के बाद एक कई उपन्यास लिखे और प्रसिद्धी के साथ-साथ उसने पैसा भी कमाया। अपने जीवन के अन्त में एलिजाबेथ कूटन ने रहस्योदघाटन किया कि उपन्यास उसके द्वारा नहीं लिखे गये हैं बल्कि किसी गुमनाम लेखक की आत्मा द्वारा लिखवाये गये है तो इस तरह तन्त्र के छोटे से उपयोग ने एलिजाबेथ कूटन के जीवन की दिशा ही बदल दी।


अंग्रेजी के प्रख्यात नाटककार थे- आस्कर वाइल्ड। वाइल्ड ने दर्जनों नाटक लिखकर ख्याति अर्जित की थी। एक बार वाइल्ड की मुलाकात महान भविष्यवक्ता काउण्ट लुई हेमन उर्फ कीरो से हुई। कीरो ने वाइल्ड को सलाह दी कि वह तन्त्र के प्रयोग करके देखें। वाइल्ड कीरो से बहुत प्रभावित था इसलिए उसने कीरो की सलाह मान ली। आस्कर वाइल्ड नाटक लिखने के साथ-साथ तन्त्र के प्रयोग भी करने लगा। तन्त्र ने वाइल्ड के रहन-सहन का ढंग ही बदल दिया। एस्थेटिक (सौंदर्यवादी) नाटककार अजीबो गरीब पोशाके पहनने लगा। सनकी व्यक्तियों की अवधारणा ही लैटिन भाषा की जगह संस्कृत के मन्त्र याद करने लगा। दुर्भाग्य से वाइल्ड को अपने तांत्रिक प्रयोग में सफलता नहीं मिली। रहस्यमय परिस्थितियों में वाइल्ड की मृत्यु हो गई। मरने से पहले वाइल्ड ने तन्त्र पर एक लंबी कविता मिली। यह कविता अब अप्राप्य है।


एच०जी० वेल्स की गणना बीसवीं सदी के महानतम विज्ञान लेखकों में की जाती है। विज्ञान लेखक के रूप में बेल्स ने काफी ख्याति अर्जित की। वेल्स का प्रसिद्ध उपन्यास 'द इनविजिविल मैन' दरअसल वेल्स के विज्ञान के लेखन से कम बल्कि उसके तन्त्र के प्रयोग से अधिक जुड़ा है। वेल्स जीवन भर विवादास्पद इसलिए रहे कि एक ओर तो वे विज्ञान के उपन्यास लिखते थे दूसरी ओर वे भारतीयों की तरह तन्त्र-मन्त्र में विश्वास करते रहे। ट्रिनिटी कालिज कैम्ब्रिज के एक शोधार्थी ने पता लगाया है कि वेल्स काली के उपासक थे। शोधार्थी की यह भी मान्यता थे। शोधार्थी की यह भी मान्यता है कि वेल्स का उपन्यास 'द इनविजिविल मैन' वास्तव में एक प्रेतात्मा द्वारा लिखाया गया है जिसका आव्हान उन्होंने एक प्लेन चिट पर किया था।


भारत में एक मशहूर लेखक हुए हैं- दीवान बहादुर काजी। उन्होंने तन्त्र मन्त्र और भूत-प्रेतों पर कई ग्रन्थ लिखे हैं। दीवान बहादुर काजी को तन्त्र में बहुत रूचि थी। अपने कलकत्ता प्रवास के समय काजी की मुलाकात एक अघोरी से हुई। अघोरी ने उन्हें मारण-वशीकरण तन्त्र बतलाये और प्रेतात्माओं के आव्हान की विधियां बतलाई। दीवान बहादुर काजी ने इन प्रयोगों को करके देखा। संयोग की बात उनकी मित्रता एक प्रेतात्मा से हो गई। इस प्रेत मित्र ने उन्हें प्रेत लोक की सैर कराई। उन्हें विलक्षण अनुभव हुए। अपने इन अनुभवों का जिक्र दीवान बहादुर काजी ने अपनी पुस्तक 'ए लाइफ बियोन्ड डैथ' में विस्तार से किया है।


ये कुछ उदाहरण हैं उन लेखकों के जो अपने जीवन में काफी प्रसिद्ध थेवास्तविकता तो यह है कि तन्त्र के प्रति अनगिनत लेखकों का रुझान रहा है। 


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