डेंगू व प्राकृतिक चिकित्सा
Poonam Sharma
Naturopath
Practising- Yoga, Naturopathy, Acupressure & Lifestyle Councellor
दोस्तों पहले लेख में मैंने कुछ खाद्य पदार्थों को अपने आहार में सम्मिलित करके डेंगू बुखार के इलाज बताए। इस लेख में मैं कुछ प्राकृतिक चिकित्सा संबंधित इलाज बताने जा रही हूं।
दोस्तों हम सभी यह जानते हैं कि हमारा शरीर पंचततवों के मेल से बना है
आकाश-वायु- अग्नि- जल- पृथ्वी
व इन्हीं पंचतत्वों के असंतुलन से ही हमारे शरीर में रोग अपना घर बना लेते हैं और इन्हीं पंचतत्वों के संतुलन से हम रोग मुक्त भी हो जाते हैं।
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1 आकाश तत्व
बुखार के चलते ठोस आहार का प्रयोग न करें। जूस, सूप जैसे तरल आहार का ही प्रयोग करें। ठोस आहार के पचाने में पाचन तंत्र को ज्यादा मेहनत करती पड़ती है जिसके चलते शरीर की ऊर्जा व्यर्थ होती है इसके विपरीत तरल आहार शरीर में जल्द की पच जाता है व शरीर को पोषण तत्व शीघ्र ही प्राप्त होते हैं। इसके अतिरिक्त शरीर की जीवनीशक्ति (इम्युनिटी) पाचन से हटकर अपनी ऊर्जा रोग से लड़ने मे लगाती है। ज्यादा से ज्यादा आराम करें। आराम करने से हमारा शरीर स्वयं को जल्द ही ठीक करता है। तनाव से दूर रहें।
2. वायु तत्व
वायु ही हमारा जीवन स्त्रोत है। बुखार की स्थिति में हमें अपने बाएं नासिका छिद्र से लंबी गहरी सांस लेते हुए उसे दाई नासिका छिद्र से बाहर निकालें। यह चन्द्र भेदी प्राणायाम है जो कि शरीर की गर्मी को दूर करता है। इसके अलावा अनुलोम-विलोम, शीतकारी, शीतली प्राणायाम भी किया जा सकता है।
3 अग्नि तत्व
हमारे ब्रह्माण्ड में सूर्य, अग्नि तत्व का सबसे बड़ा स्त्रोत हैसूर्य किरणें सभी प्रकार के रोगाणुओं का नाश करती हैं। सुबह व शाम को जब सूर्य सतरंगी रंग का होता है, 20-25 मिनट हमें सूर्य किरणों का सेवन करना चाहिए। सूर्य तप्त हरे रंग के जल का प्रयोग हमारे शरीर के सभी प्रकार के टॉक्सिंस को बाहर करता है। सूर्य तप्त नीला, आसमानी रंग शरीर के ताप को कम करता है।
विधि- जिस रंग का पानी चाहिए उस रंग की कांच की बोतल में पानी 2/3 भरकर कार्क से बंद करें। इस पानी की बोतल को एक लकड़ी के टुकड़े या टेबल पर रखें । ऐसे स्थान पर रखें जहां पर सुबह से शाम तक सूर्य किरणें पड़ती रहें। अगले दिन इस जल का दिन में 3-4 बार प्रयोग करें।
4 जल तत्व
अधिक से अधिक पानी पिएं ताकि शरीर के विषाक्त तत्व मूत्र त्याग द्वारा बाहर निकल जाएं। ज्यादा पानी शरीर को हाईड्रेट रखेगा सुबह से शाम तक गले पर पानी की गीली लपेट लगाकर रखें, साथ ही इस लपेट, गीला कॉटन (कपड़ा/टॉवल) दिन में 2-3 बार 20 मिनट तक के लिए लगाएं। रोगी को दिन में 1-2 बार स्पंजबाथ दें।
5 पृथ्वी तत्व
इसमें दो तत्व आते हैं
1. पृथ्वी से उत्पन्न खाद्य पदार्थ जिनकी चर्चा पहले की है।
2. मिट्टी।
मिट्टी में शरीर के ताप को कम करने व विषाक्त पदार्थों को खींचने की शक्ति होती है। पेट व माथे पर 20 मिनट तक, दिन में दो बार मिट्टी की पट्टी या लेप लगाए।
विधि- मिट्टी जमीन से 2-3 फीट गहरी खुदी हुई लें, मिट्टी को 5 घंटे पहले भिगो लें, चिकनी मिट्टी ले रहे हैं तो 12 घंटे तक भिगोकर ही प्रयोग करें। उपर्यक्त उपायों से पंचतत्वों का संतुलन पुनः प्राप्त किया जा सकता है व शरीर को रोग मुक्त बनाया जा सकता है।
नोट- एस्प्रीन, ब्रूफेन दवाइयों का प्रयोग न करें।
प्राकृतिक चिकित्सा अपनाए,
अपने चिकित्सक स्वयं बनें।