स्टेरॉयड आई ड्रॉप्स से बचें
यह जानो
- स्टेरॉइड-आधारित आई ड्रॉप्स बस संक्रमण को छिपाते हैं और इलाज का अच्छा अहसास देते लेकिन संक्रमण घाव को निष्क्रिय कर देता है परन्तु मरता नहीं है। जैसे ही बूंदों को बंद कर दिया जाता है, संक्रमण एक विकराल रूप में बदल जाता है। संक्रमण की अवधि भी लंबे समय तक हो जाती है क्योंकि उपचार प्रक्रिया में अधिक समय लगता है।
- सामान्य आंख आने से कोरनिया प्रभावित नहीं होता है। लेकिन अनुचित दवा संक्रमण को अगले स्तर पर ले जाती है, जहां उसके ईलाज के लिए अधिक आक्रामक प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
- आम एंटीबायोटिक्स आंख के लाल होने के इलाज के लिए पर्याप्त से अधिक है। साथ ही अपने हाथों को साफ रखें व आंख आने पर साफ व ठंडे पानी से अपनी आंखों को बार-बार साफ करें व चश्में का इस्तेमाल करें।
फोटो - everydayhealth .com
(काजल पत्रिका) पंद्रह साल की गार्गी ने आंखों में खुजली और जलन होने पर आंखों की बूंदों का इस्तेमाल किया। इन स्टेराइड-बेस्ड आई ड्रॉप्स ने अनु के आंख का लाल होना (कंजंक्टिवाइटिस) को कुछ ही समय में ठीक कर दिया। लेकिन जैसे ही उसने इन बूंदों का उपयोग करना बंद कर दिया, आंख आने के लक्षण फिर से दिखाई देने लगे। उसको ठीक करने के लिए फिर से गौरी ने उसी दवाई की बूंदों का इस्तेमाल किया। लेकिन इस दवाई के लंबे समय तक उपयोग ने गौरी की आंख को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया।
राहुल का ऑप्टिक तंत्रिका बीमारी का ईलाज किया गया था, जिससे उन्हें एक आंख में दृष्टि का आंशिक नुकसान हुआ था।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन स्टेराइड वाली आंख की दवाई का व्यापक उपयोग, विभिन्न प्रकार के आंख में बीमारियां पैदा कर सकता है। जिससे मोतियाबिंद और आंख के खराब हो जाने की संभावना होती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी के आई सर्जन आदित्य ने कहा, 'आमतौर पर आंखों की सर्जरी के बाद और डॉक्टर के ऑब्जर्वेशन के तहत यूवाइटिस के मरीजों के लिए स्टेरॉयड आधारित आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन लोग आंख आने या आंख की छोटी मोटी परेशानी में भी स्टेराइड वाली आंख की दवा का इस्तेमाल करते हैं।'
मैं हर साल तीन से चार मरीजों को देखता हूं, जहां स्टेरॉयड आधारित आंखों की बूंदों के लंबे समय तक उपयोग से या तो ग्लूकोमा या मोतियाबिंद हो जाता है। आदित्य ने कहा मैं लगभग 10 रोगियों को एक वर्ष में देखता हूं, जो लंबे समय तक स्टेराइड दवा के अनुपयोगी उपयोग से मोतियाबिंद, ग्लूकोमा या कॉर्नियल अल्सर से पीड़ित हो जाते हैं, और सबसे बड़ी बात है कि स्टेरॉइड आई ड्रॉप आसानी से उपलब्ध हैं। सरकारी मूल्य नियंत्रण के कारण, वे बहुत सस्ते भी हैं। लेकिन उनके दीर्घकालिक उपयोग से मोतियाबिंद और ग्लूकोमा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि जिन रोगियों को इस दवाई को दिया जाता है, उन्हें इसके पक्ष की चेतावनी दी जाती है। उनको बताना चाहिए की यदि स्व-उपचार किया जाता है, तो उसके भयंकर परिणाम होंगे। 'आदर्श रूप से फार्मासिस्टों के साथ-साथ सामान्य चिकित्सकों को भी स्टेरॉयड-आधारित आई ड्रॉप्स की संभावित जटिलताओं के बारे में सचेत किया जाना चाहिए। हमेशा अपनेआप दवाई के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी जानी चाहिए।'
कैंप में प्रैक्टिस करने वाले नेत्र सर्जन अनवर ने कहा, 'मुझे काफी कम मरीज दिखाई देते हैं, जहां स्टेरॉयड आईडी आधारित आई ड्रॉप्स के दुरुपयोग से या तो सूखी आंखें, मोतियाबिंद या मोतियाबिंद होता है। मुझे हर महीने लगभग दो से तीन मरीज ऐसे दिखाई देते हैं।'
नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि स्टेरॉयड आधारित आई ड्रॉप से दृष्टि हानि भी हो सकती है। 'स्टेरॉयड-प्रेरित ग्लूकोमा ऑप्टी तंत्रिका को नुकसान पहुंचाएगा, जिससे अपूरणीय दृष्टि हानि हो सकती है।'