ऑफिस में 'सबके प्रिय' बनने के टिप्स

अगर आप आफिस में प्रिय व खास बनना चाहते हैं और अगर आप चाहते हैं कि बॉस की नजर में व प्रियों की सूची में आपका नाम अव्वल हो तो आप को कुछ प्रयास करना होगा तभी आप बॉस व सहयोगियों के प्रिय बन पाएगें-



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समयबद्धताः


टाइम इज मनी। समयबद्धता व समयनिष्ठता दो ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु हैं जो आपको प्रत्येक स्थान पर मान सम्मान दिलाएँगे। जीवन में सबसे बड़ा प्रबन्धन व कार्य समय का सदुपयोग करना ही है। समय से आफिस पहुँचना, समय से कार्य निपटाना एक महान गुण है। जो समय के महत्व को नहीं पहचानते, समय भी उनकी कद्र नहीं करता है। समय का मोल पहचानिए। एक-एक मिनट का सदुपयोग कीजिए व समयबद्धता को जीवनचर्या का अंग बना लीजिए।


सहयोग की भावनाः


आपका व्यक्तित्व और भी निखर उठेगावैसे भी अपने लिए तो सभी जीते हैं आप दूसरों के लिए भी कुछ करने की सोचिए। अपने व्यवहार, कार्यशैली में सहयोग का छौंका लगा दीजिएआपका व्यक्तित्व और भी निखर उठेगा। वैसे भी वर्तमान में 'गिव एण्ड टेक' का जमाना है, सहयोग दीजिए और सहयोग लीजिए।


सौम्यता:


सौम्यता व चेहरे पर स्वाभाविक मुस्कान आपके व्यक्तित्व में चार चाँद लगा देगी। अपने साथियों, जूनियरों के अभिवादन का प्रत्युत्तर मुस्करा कर दीजिए। बॉस व सीनियरों से भी सौम्य मुस्कान के साथ मिलिए। सौम्यता व मुस्कान आपको सबका प्रिय बनाएगी व आफिस में उन्मुक्त तनाव रहित वातावरण के निर्माण में सहायक सिद्ध होगी।


अनुशासन का पालनः


अनुशासन अर्थात शासन का अनुपालन। आप जहाँ काम करते हैं वहाँ के नियमों, कानूनों का पालन ही अनुशासन है। आफिस के कानून-कायदों का पालन आपका धर्म होना चाहिए। अनुशासित व्यक्तित्व सबका प्रिय व विशेष होता है। अतः अनुशासन को धारण कीजिए। अनुशासन को जीवन का अनिवार्य अंग बना लीजिए।


संवाद कौशल व समझः


संवादहीनता से कई बार बड़ी दुर्घटनाएं हो जाती हैं। अपने सीनियर, जूनियर व साथियों के साथ बेहतर संवाद व समझ विकसित कीजिए। यह सुनिश्चित कीजिए कि आप जो मैसेज दे रहे हैं, वो वही समझ रहे हैं या कुछ और। ये न हो कि अर्थ का अनर्थ बन जाए। इससे आपकी छवि को नुकसान पहुँच सकता है। इसलिए बेहतर संवाद प्रणाली व समझ विकसित कीजिए।


बेहतर कार्यप्रणाली:


आप अपने कार्यक्षेत्र में प्रतिदिन कुछ नया अवश्य सीखते हैं। अतः इस सीखने को जीवन का अंग बनाइए। इससे आपका काम तो शीघ्र होगा ही, उसमें त्रुटि की संभावना भी शून्य रह जाएगी। इससे आपकी छवि एक कुशल व त्रुटि रहित कर्मचारी के रूप में उभरेगी। आप स्वयं भी काम के तनाव व बोझ से बेहतर व आसान तरीके से मुक्ति पा सकेंगे


उत्तरदायित्व लीजिए:


आगे वही बढ़ता है जो उत्तरदायित्व लेता हैकाम को कभी भी बोझ या भार न समझिए। जितने प्रकार के विविध कार्य आपको मिलें उनसे आपके ज्ञान, कौशल व जानकारी में बढौत्तरी ही होगी। अतः काम को कभी भी भार या परेशानी न समझे। उत्तरदायित्वों से मुँह न मोडिए। उनको हँसते-हँसते धारण करिए। आपकी प्रगति के मार्ग स्वतः ही खुलते जाएँगे।


सुख-दुःख के सहभागीः


सामाजिकता का सबसे बड़ा गुण व धर्म है दूसरों के सुख-दुःख में शामिल होना। हम घर-परिवार, जान-पहचान व संगी-साथियों के सुख-दुःख में हिस्सा लेते हैं। आफिस के साथियों व सहकर्मियों के साथ भी सहयोगात्मक व्यवहार अपनाइए। हर संभव प्रयास करके सुख -दु:ख में शामिल होइए। और उन्हें ये एहसास करवाइए कि आप हर घड़ी में उनके साथ हैं।