बुध और केतु के प्रभाव से होते हैं त्वचा रोग!

एक और तथ्य है जिसका आयुर्वेद भी समर्थन करता है। यदि हम शाक-सब्जी के अलावा ऐसी जड़ी बूटियों का प्रयोग करें जो केतु या बुध की कृपा से उत्पन्न होती हैं तो एंटीएजिंग की समस्याएं अपने आप ही दूर हो जाएंगी। आप देखेंगे कि जिनके लग्न से या लग्नेश से बुध या केतु का संबंध होता है तो उनको एंटीएजिंग क्रीम या अन्य त्वचा प्रसाधनों की इतनी आवश्यकता नही पडेगी। पर यदि केतु अगर दूसरे भाव में बैठकर खराब हो जाए तो वह व्यक्ति कम उम्र का होकर भी अधिक उम्र वाला दिखेगा।



Photo by Luca Rüegg on Unsplash


आजकल समय अभाव और व्यस्त दिनचर्या के कारण मनुष्य को अपनी एवं अपने आसपास की साफ-सफाई का उतना समय नहीं मिल पाता है कि वह ठीक प्रकार से उसे दूर कर स्वस्थ रह पाए और इसी कारण शरीर में अनेक प्रकार के त्वचा रोग पैदा हो जाते हैं। इसका सामान्य रूप से हम सभी कारण खोजते हैं और डाक्टर के पास जाकर अपना इलाज करवाते हैं किन्तु कई दफा त्वचा रोग (स्किन एलर्जी) का कारण ग्रह दशा, ग्रहों का प्रभाव भी होता है।


ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाये तो बुध देव तरह-तरह से एलर्जी उत्पन्न करते हैं। त्वचा के रोग केतु भी उत्पन्न करते हैं। बुध रसायनों से एलर्जी देते हैं और केतु बैक्टीरिया के कारण एलर्जी उत्पन्न करते हैं। केतु खुद भी सूक्ष्मकाय हैं और सूक्ष्म जीवों के देवता हैं। इन दोनों की दशा-अन्तर्दशाओं में त्वचा के रोग उभर कर सामने आते हैं। दाद, खुजली, एग्जिमा, त्वचा का जल जाना, त्वचा पर रिंकल्स और त्वचा का जवान या बूढ़ा होना बुध या केतु पर निर्भर करता है। त्वचा पर ग्लेज है या नहीं, यह तय करने में और ग्रह भी भूमिका अदा करते हैं जिनमें बृहस्पति भी हो सकते हैं। अब यदि आप एंटी एजिंग क्रीम लगाएं और बुध या केतु आपकी मदद नहीं करें तो वह क्रीम लगाना बेकार हो जाएगा। अगर इन ग्रहों की पूजा-पाठ कर सकें या उनका रत्न पहन सकें तो एंटी एजिंग क्रीम की आवश्यकता ही बहुत कम पड़ेगी।


एक और तथ्य है जिसका आयुर्वेद भी समर्थन करता है। यदि हम शाक-सब्जी के अलावा ऐसी जड़ी बूटियों का प्रयोग करें जो केतु या बुध की कृपा से उत्पन्न होती हैं तो एंटीएजिंग की समस्याएं अपने आप ही दूर हो जाएंगी। आप देखेंगे कि जिनके लग्न से या लग्नेश से बुध या केतु का संबंध होता है तो उनको एंटीएजिंग क्रीम या अन्य त्वचा प्रसाधनों की इतनी आवश्यकता नहीं पड़ेगी, पर यदि केतु अगर दूसरे भाव में बैठकर खराब हो जाए तो वह व्यक्ति कम उम्र का होकर भी अधिक उम्र वाला दिखेगा। यदि मंगल का लग्न और लग्नेश से संबंध हो जाए तो व्यक्ति अपने आप ही मार्निग वाक करता है, कसरत करता है, खेलों में शामिल रहता है और उसका खान-पान इतना परिष्कृत हो जाता है कि वह उम्र से कम दिखने लगता है। मेरा तो वैसा भी अनुभव है कि जो लोग रेगुलर मार्निंग वाकर होते हैं वे अपनी उम्र से दस-पन्द्रह वर्ष कम दिखते हैं। मार्निंग वाकर बनाने में मंगल सबसे अव्वल है। यदि कुण्डली में मंगल बलवान हों तो भी वही परिणाम आते हैं अन्यथा मंगल की प्रसन्नता के लिए मंत्र-मणि और औषधि का प्रयोग किया जाना उचित रहेगा।


साल सन स्ट्रोक, सन बर्न (सूर्य के कारण धूप) से होने वाली जलन, गर्मी में जन्मे व्यक्ति, खासतौर से मिथुन राशि के सूर्य में जन्मे व्यक्ति अपना हाथ या चेहरा दोपहर के सूर्य के सामने कुछ मिनटों के लिए भी कर दें तो उनकी त्वचा पर धब्बे पड़ जाते हैं या त्वचा काली पड़ जाती है। ये व्यक्ति यदि अपने हाथों को ढककर रखें तो इस समस्या से बच सकते हैं। आप पाएंगे कि सर्दियों में इन लोगों के हाथ या चेहरा गोरा हो जाता है और गर्मियों में काला पड़ जाता है। बुध की राशियों में सूर्य हों या बुध अस्त हो या बुध वक्री हो या बुध, केतु के साथ हो तो त्वचा की समस्या आती है और सूर्य देवता उसमें सहयोग दे देते हैं परन्तु अग्निकाण्ड में शरीर जल जाता है। उसमें सूर्य केवल त्वचा पर असर नहीं डालते वरन् सारे शरीर को और रक्त मांस-मज्जा को भी झुलसा देते हैं। सूर्य-मंगल युति अक्सर अग्नि से दाह पैदा करती है। अग्नि से झुलसे हुए लोगों का साधारण उपायों से इलाज नहीं किया जा सकता और वह समय जन्मपत्रिकाओ के अधीन होता है। मोटापा,चर्बी व शारीरिक असंतुलन, बृहस्पति यदि वक्री हों या अस्त हों तो तेज गति से मोटापा देते हैं। बृहस्पति अच्छी राशियों में हों तो मोटापा अनियंत्रित रूप से नहीं बढ़ता बल्कि स्वाभाविक विकास के कारण होता है। थायरायड की समस्या में बृहस्पति का योगदान नहीं होता और उसके कारण जो मोटापा बढ़ता है, उसमें बुध का सहयोग होता है। गले के या वाणी के कारक बुध हैं। श्वास नली का गले वाला क्षेत्र बुध से प्रभावित होता है। जन्मपत्रिकाओं का दूसरा भाव श्वास नली के रोगों से संबंधित होता है परन्तु श्वास नली में कैंसर या ट्यूमर होता है तो उसका कारण शनि-मंगल या राहु होते हैं। साधारण ढंग से मोटापा जब बढ़ता है तो बृहस्पति का पूजा पाठ, बृहस्पतिवार का व्रत इत्यादि मदद करते हैं। कई जड़ी-बूटियां ऐसी होती हैं जो बृहस्पति का शमन करती हैं। बृहस्पति चेहरे पर ओज देते हैं। त्वचा की कांति में भी बृहस्पति का योगदान होता है। चेहरे पर मेद बृहस्पति के कारण आता है। कई बार मोटापा और चेहरे पर कांति साथ-साथ बढ़ते हैं, फिर कांति स्थिर हो जाती है और मोटापा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। भारतीय मायथोलाजी के अनुसार कर्मों की शक्ति भी चेहरे पर ओजस्विता लाती है। चेहरे पर कांति से बड़ा कोई सौन्दर्य प्रसाधन हो ही नहीं सकता परन्तु केतु की तरह ही बृहस्पति भी उम्र से जल्दी बूढ़ा करा सकते हैं। मंगल रक्त विकारों के ग्रह हैं। चेहरे पर लालिमा, बदन पर लालिमा, हाथों में गुलाबीपन, सुन्दर गुलाबी अंगुलियां और आंखों में नशा। साहसपूर्ण प्रतिमा, आत्मविश्वास और मुकाबले को तैयार भाव भंगिमा यह सब मंगल की देन है। मंगल कुण्डली में बहुत बलवान हों तो हीमोग्लोबिन बढ़ा देंगे और लाल रक्त कणों की संख्या बढ़ा देंगे। जरा से आवेश में चेहरा लाल सुर्ख हो जाएगा। चेहरे के उतरते-चढ़ते भाव किसी माइश्चराइजर को टिकने ही नहीं देंगे। इन्हें कोई सौन्दर्य प्रसाधन चाहिए ही नहीं। आत्मविश्वास ही इनका सबसे बड़ा आभूषण है परन्तु पित्त से, मंदाग्नि से, पाइल्स से और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं से ग्रस्त रहेंगे। मंगल अच्छे हुए तो ढंग से जी जाएंगे और मंगल खराब हुए तो बीच जवानी में तकलीफें आनी शुरू हो जाएंगी।