पत्नी की सेहत बिगड़ी तो घर की सेहत बिगड़ी
पत्नियों की यह आम शिकायत है कि उन्हें पति एक साथी या पार्टनर के रूप में कम स्वीकारते हैं। अधिकतर पुरुष भावनात्मक स्तर पर बिना कुछ बांटे पति की भूमिका निभाते हैं। कुछ महिलाएं तो यहां तक कहती हैं कि कई पतियों को पत्नी की सेहत से जुड़ी जानकारी तक नहीं होती। वह जल्दी बच्चे भी नहीं चाहते पर किसी प्रकार के गर्भनिरोधक इस्तेमाल करने के प्रति भी लापरवाह होते हैं और पत्नी के गर्भवती होते ही वह अपनी दुनिया में खो जाते हैं। पत्नी को अपना ध्यान रखने की हिदायतें देने के बाद वह किसी किस्म की जिम्मेदारी नहीं बांटते।
पत्नियां अब शादी को सिर्फ खाना पकाना, बच्चे पैदा करना और बीमारियां झेलना मात्र ही नहीं मानतीं लेकिन फिर भी महिलाओं के मन में यह कसक तो बनी ही रहती है कि पति शादी से वह सब कुछ पा जाता है। जो वह चाहता है लेकिन उसे उसका पूरा हिस्सा ईमानदारी के साथ नहीं मिलता।
दांपत्य रिश्तों में पुरुष पत्नी को साथी का दरजा दे पाते हैं इस पर महिलाओं में एकराय नहीं है। महिलाएं आज भी यही सोचती हैं कि क्या पत्नी की स्वाभाविक जरूरतें पति समझ पाएगा? जिस जरूरत को पति बेफिक्री व हक से लेता है पत्नी द्वारा उसी जरूरत की मांग पर उसको तिरस्कार से देखा जाता है।
ज्यादा से ज्यादा महिलाएं पुरूषों की मानसिकता अब अच्छी तरह समझने लगी हैं। उनके अनुसार भारतीय पुरुष आज भी दांपत्य रिश्तों के मामलों में आदिमानव की तरह ही हैं।पुरुष के लिए यह समझना जरूरी है कि उसका दांपत्य जीवन व सेक्स से जुड़ी हर गतिविधि तभी सुखद व आनंददायी होगी जब वह शारीरिक व मानसिक तौर पर फिट और हष्टपुष्ट होगा।
आज के दौर में पति व पत्नी में शारीरिक संबंधों को खुल कर भोगने की लालसा तेज हुई है। लिहाजा यह जरूरी है कि दांपत्य में झिझक से परे होकर सुखों को आपस में ज्यादा से ज्यादा बांटने की कोशिश की जाए।
भारतीय पुरूषों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उन्हें एक अच्छे प्रेमी की भूमिका निभानी नहीं आती है और जो थोड़ी-बहुत आती भी हैवह पति के अवतार में आते ही लगभग खत्म हो जाती हैपति के लिए करवाचौथ का व्रत रखने वाली, साड़ी और बिंदी में सजी संवरी पत्नी अगर प्यार के सुख की चाहत रखती है तो वह पति की भृकुटि का निशाना बन जाती हैएक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार 67 प्रतिशत भारतीय पुरुष पत्नी के साथ शारीरिक संबंधों को लेकर ज्यादा खुदगर्ज होते हैं।
पत्नी–पति एक दूसरे के पूरक होते हैंऔर अब जब महिलाएं भी काम करने लगी हैं। और पैसे कमाने लगी हैं। तो उन्होंने भी अपनी इच्छाओं को आकार देना शुरू कर दिया है और वो पति से अब बहुत कुछ या कम से कम बराबर का भावानात्मक प्यार, दुख-सुख को बांटना और हर चीज में अपनी पसंद-नापसंद चाहती है औरपति को भी अब समझना होगा और वो समझ भी रहा है कि सुखी परिवार के लिए पत्नी को बराबर का दोस्त मानना होगा।