बच्चों की शरारत को अनदेखा न करें
बच्चों की शरारत को अनदेखा न करें
आपका बच्चा शरारती है, तो आपकी नज़र उस पर होनी चाहिए और साथ ही वह ऐसी कोई भी शरारत करता है, तो उसको ऐसा करने से रोकना चाहिए और चेतावनी देनी चाहिए कि वह आगे ऐसा कुछ न करे।
जहां बच्चे हों, वहां शोर शराबा और हंगामा न हो ऐसा हो नहीं सकता। बच्चों का नाम सुनते ही हर मां-बाप की आंखों में तनाव और साथ ही उनके चेहरे से गुस्सा नज़र आने लगता है और छुट्टी वाले दिन तो बच्चे वैसे ही इतने फ्री होते हैंकि स्कूल के होमवर्क के अलावा उनके पास करने को और काम नहीं होता। बच्चे जब भी घर में फ्री होते हैं, तो ऐसी शरारतें करते हैं, जिससे हर मां-बाप को गुस्सा आ जाए। बच्चे वो हर काम करते हैं जो उनको नहीं करना चाहिए। अगर शरारती बच्चों को समय रहते न समझाया जाए, तो यही शरारती बच्चे बड़े होकर बिगडैल बन जाते हैं और साथ ही अवारागर्दी करते हैं। शरारती बच्चों को शुरू से ही अनुशासन सिखाना चाहिए और इनके साथ बचपन से ही सख्ती बरतनी चाहिए ताकि आगे चलकर हर माता पिता को काफी मुसीबतों का सामना न करना पड़े। शरारती बच्चों की परवरिश काफी ध्यान से करने की आवश्यकता होती है।
एनर्जी लेवल ज्यादा होने के कारण बच्चे अपनी सारी शारीरिक ऊर्जा शरारतों में ही लगा देते हैं और अगर आपका बच्चा ज्यादा शरारती बन जाए तो उसको सुधारने के लिए आपको उसको कुछ ऐसी एक्टिविटीज में लगाना चाहिए, जिससे उसका मन भी लग जाए और साथ ही वह अपनी सारी एनर्जी का इस्तेमाल भी सही करे। कई बार बच्चे की शरारतें करने के पीछे कुछ कारण होते हैं। बच्चे ज्यादा शरारतें अपने पेरेंट्स का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के १ लिए करते हैं और साथ ही अगर आप भी अपने बच्चों की तरफ ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, तो आपको उनकी तरफ ध्यान देना चाहिए और साथ ही उससे उसके दोस्तों के बारे में पढ़ाई-लिखाई के बारे में, स्कूल के बारे में सारी बातें करनी चाहिए। शरारत करने पर बच्चों को सबके सामने पीटने या कमरे में बंद कर देने जैसी सख्त सजा कभी न दें। ऐसा करने से बच्चे के मन में आक्रोश की भावना पैदा हो जाएगी और उसका मन आपसे दूर भी हो सकता है। इसलिए अपने बच्चे को मारने की बजाय बड़े प्यार से समझाने का प्रयास करें और अगर वो फिर भी आपकी बात मानने को तैयार नहीं होता, तो उसे समझाएं कि वह कुछ ऐसा करे, जिससे सभी उसकी तारिफ करें।