ऑटो मोबाईल इंजीनियर में है नाम-पैसा


अगर कारों की दुनिया के बारे में सब कुछ जानने की जिज्ञासा आपके दिल में हिलोरे मारती है... उनके डिजाइन पर आपकी बारीक नजर रहती है... कारों की तकनीक आपको आकर्षित करती है तो आप आसानी से इस क्षेत्र में नाम कमा सकते हैं। ऑटोमोबाइल इंजीनियर बनने के लिए आपका गणित में अच्छा होना भी बेहद जरूरी है। एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर गाड़ियों का निर्माण करने वाली इंडस्ट्री में काम करता है। जानी-मानी ऑटो कंपनियां ऑटोमोबाइल इंजीनियरों को नौकरी पर रखती हैं और उन्हें एक साल की विशेष ट्रेनिंग देती हैं। इस ट्रेनिंग के तहत उन्हें कार मेकिंग के विभिन्न आयाम समझाए जाते हैं। आज भी इस क्षेत्र में ज्यादातर मेकेनिकल इंजीनियर ही काम करते हैंभारत में आज भी अच्छे ऑटोमोबाइल इंजीनियरों की कमी काफी ज्यादा है।


कार्यक्षेत्र


एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर का रूटीन इस बात पर निर्भर करता है कि वह काम कहाँ कर रहा है। उसके कार्य के क्षेत्र बंटे होते हैं। असेम्बली लाइन, डिजाइन, एडमिनिस्ट्रेशन सरीखे कई विभाग होते हैं, जहाँ उसे पोस्टिंग दी जाती है। फिर अगर उसके औसतन रूटीन की बात करें तो वह कुछ ऐसा होगा. ..सुबह के 9 बजे उसे प्रोडक्शन प्लान चेक करकेप्लांट फ्लोर पर जाना होगा। दिन के 11 बजे यह देखना होगा कि पूरे प्लांट फ्लोर पर दोबारा जाना होगा। 4 बजे उसे सारे किए गए कामों की क्वालिटी चेक करनी होगी। और दिन भर के कामों की रिपोर्ट फाइल करनी होगी। 6 बजे उसका काम खत्म हो जाएगा।


वेतन


एक ग्रेजुएट इंजीनियर को ट्रेनिंग के समय में हर महीने 28 से 30 हजार रुपये का वेतन मिलता है। जब वह नौकरी में आ जाता है तो उसकी सैलरी बढ़ कर 40 हजार रुपये तक हो जाती है। जैसे-जैसे वह काम में आगे बढ़ता है, उसकी तरक्की होती है और उसकी तनख्वाह भी बढ़ती जाती हैएक लाइन लीडर या असिस्टेंट मैनेजर को हर महीने 40 से 80 हजार रुपये तक वेतन मिलता है। साल दर साल अनुभव बढ़ने के साथ जब एक इंजीनियर डिवीजन हेड के ओहदे पर पहुँचता है तो उसका वेतन प्रति वर्ष 25 से 30 लाख रुपये तक हो जाता है।


स्किल


• आपको कारों से प्यार होना चाहिए। मैथ्स में रुचि होनी चाहिए।


• तेजी से सीखने की क्षमता होनी चाहिए।


• बहुत ही आर्गेनाइज्ड तबीयत का मालिक होना चाहिए


• नए विचार सोचने आने चाहिए और इन विचारों को साकार देने की क्षमता भी होनी चाहिए।


योग्यता


विज्ञान विषय में कक्षा 12 तक पढ़ाई करने के बाद छात्र को ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में बीई या बीटेक करना चाहिए। अच्छे इंजीनियर चुनने के लिए कंपनियां सबसे पहले आईआईटी या एनआइटी के छात्रों पर नजर डालती हैं। साउथ का मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी भी अच्छे संस्थानों में शुमार किया जाता है। कई सारे छोटे संस्थान भी बीई और बीटेक के कोर्स इस विषय में ऑफर करते हैं, इसलिए संस्थान के चयन में छात्र को सावधानी बरतनी चाहिए। संस्थान की वेबसाइट पर अगर छात्र एक नजर डाल ले तो उसे संस्थान की साख से संबंधित कई सूचनाएं मिल जाती हैं। वेबसाइट पर जाकर छात्र फैकल्टी के सदस्यों और उनकी क्वालिफिकेशन की जानकारी ले सकता है। इसके लिए उसे एडमिशन लेने से पहले उस कॉलेज के पूर्व छात्रों के प्लेसमेंट की बाबत भी जानकारी जुटानी चाहिए।


संस्थान


• आईआईटी और एनआईटी जाधवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता। www.jadavpur.edu


• मद्रास यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी www.mitindia.edu


• एमआईटीएस ग्वालियर www.mitsgwl.ac.in a