एक ताने ने बसा दिया शहर बीकानेर
कई राजमहलों को अपने में समेटे जूनागढ़ किला राजस्थान के बीकानेर में है। बीकानेर को जोधपुर के राजा जोधा के पुत्र राव बीका ने लगभग पांच सौ साल पहले बसाया था। बहुत कम लोग जानते होंगे कि यह नगर एक ताने के कारण बसा। बात है सन् 1515 की। जोधपुर का दरबार लगा हुआ था। दरबार में महाराजा जोधा अपने सभी सभासदों के साथ विराजमान थे। इस दरबार में उनका भाई कांधल व पुत्र बीका भी बैठे हुए थे। अचानक किसी बात पर कांधल और उनका भतीजा हंस पड़े। जोधा ने यह देखा तो उन्होंने तपाक से ताने देने के स्वर में कहा कि आज तो चाचा भतीजे में खूब पट रही है। लग तो ऐसा रहा है कि मानो कोई नगर बसाने जा रहे हों। यह बात कांधल को लग गई। उन्होंने अपने भतीजे बीका व सरदार को साथ लिया और चल दिए नगर बसाने। बीका ने अपने चाचा कांधल के निर्देश पर बहुत से इलाकों का दिल जीता। आखिर एक दिन आया जब बीकानेर बसा। जूनागढ़ किला निर्माण से लेकर अब तक अविजेय रहा है। वास्तुकला एवं स्थापत्य सौंदर्य में अद्वितीय इस किले में प्रवेश करते ही विशाल हाथियों पर सवार दो वीरों जयमल और पत्ता सिसोदिया की मूर्तियां दिखाई देती हैं। जयमल राठौड़ व पत्ता सिसोदिया राजस्थान के दो प्रमुख वीर योद्धा रहे हैं। चित्तौड़ के इन दोनों वीर योद्धाओं की वीरता पर मुग्ध होकर मुगल सम्राट अकबर ने आगरे के किले के प्रवेश द्वार पर इन वीरों की मूर्तियां खड़ी की थीं। बाद में मूर्तिविरोधी औरंगजेब ने उन्हें तुड़वा दिया था। जूनागढ़ किले को देखना सुखद अहसास से गुजरना है। इस किले को एक नजर में देखते ही इसके स्थापत्य सौंदर्य से मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकते। किले के अंदर राय निवास, हरिमंदिर और हुरी गेट, राजा जयसिंह से संबंधित हैं। इसकी स्थापत्य कला हिंदू शैली की है। चित्रकला की दृष्टि से भी जूनागढ़ अत्यधिक समृद्ध किला है। महलों के दरवाजों, धरन और दीवारों पर बीकानेर चित्रशैली की स्पष्ट छाप दिखती है।
किले में प्रवेश करने से पहले कई दरवाजों से होकर गुजरना पड़ता है। किले के सारे द्वार एक-दूसरे की सीध में न होकर टेढ़े बने हुए हैं। किले में प्रवेश द्वार दो तरफ बने हुए हैं लेकिन जूनागढ़ के अंदर विभिन्न शासकों द्वारा बनाए गए कला सौंदर्य के विशाल महलों तक पहुंचने के लिए कई दरवाजों से निकलना पड़ता है। संपूर्ण दुर्ग के भीतरी भाग का चप्पा-चप्पा सौंदर्य से भरा पड़ा है। किले में विभिन्न राजमहल यहां के अलग अलग शासकों ने अपने-अपने समय में बनवाए। इनमें प्रमुख हैं- करण महल, गज मंदिर, छत्र महल, अनूप महल और फूल महल आदि। इन राजमहलों में जाने के लिए किले के 7 द्वारों से होकर जाना पड़ता है। वर्तमान में किले के प्रथम प्रवेश द्वार कर्णपोल से किले के भीतर पहुंचा जाता है। इस द्वार को 17वीं शताब्दी में महाराजा कर्ण सिंह ने बनवाया था। इसके बाद सूरज पोल में प्रवेश करने पर द्वार के बायीं ओर बना छोटा सा भैरों बाबा का मंदिर है। सूरज पोल के ऊपर भगवान गणेश जी की मूर्ति भी है। कुल मिलाकर सभी राजमहलों में परंपरा और आधुनिकता का ऐसा मिश्रण है कि दर्शक इन्हें देखते ही रह जाते हैं।